रांची न्यूज डेस्क: लगातार हो रही बारिश से झारखंड के जामुदाग गांव में लोगों का जीवन मुश्किल में फंस गया है। मिट्टी के मकान ढहने लगे हैं और ग्रामीण हर दिन खौफ के साए में जी रहे हैं। कभी भी घर गिरने का डर सताता है, जिससे कई परिवार रातें सरकारी स्कूल या पड़ोसियों के घर में काटने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना या अबुआ आवास का लाभ अब तक नहीं मिलने से ग्रामीण खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं।
गांव के रामरतन लोहरा, छोटू मछुआ और सुकून देवी जैसे कई लोगों की कहानी दर्द भरी है, जिनके घरों के हिस्से बारिश में ढह चुके हैं। कुछ लोगों ने आवेदन किए, लेकिन पंचायत सचिव और उप मुखिया से सिर्फ आश्वासन ही मिला। आरोप है कि कुछ मामलों में पैसों की मांग भी की गई। विधायक और बीडीओ तक शिकायत पहुंचने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
पंचायत समिति सदस्य के अनुसार, पंचायत में करीब 300 मकान बारिश में ढह चुके हैं या गिरने की कगार पर हैं। सैकड़ों परिवार बिना किसी सरकारी सहायता के डरे-सहमे हालात में रह रहे हैं। बारिश शुरू होते ही लोगों को घर छोड़कर जाना पड़ता है। पानी भरने और दीवार गिरने का डर आम हो गया है।
बीडीओ ने भरोसा दिलाया कि जिनके मकान गिर चुके हैं, उन्हें पंचायत भवन में रहने की इजाजत दी गई है और आवास योजना के लिए अधिकारियों से बात की जा रही है। साथ ही, आवास के नाम पर रिश्वत मांगने वालों पर कार्रवाई का भरोसा भी दिया गया। फिर भी सवाल यही है कि हादसा होने से पहले राहत क्यों नहीं पहुंचती और जिम्मेदारी कौन लेगा?